Tuesday, February 16, 2010

शिवसेना की दादागीरी


शिव सेना ने १ बार फिर साबित किया के देश से उसे कोई मतलब नहीं वह सिर्फ बाम्बे पर अपना राज चलाना चाहती है शाहरुख़ की फिल्म रिलीज ना होने देने के उसने बहुत प्रयास किये पर वह सफल नहीं हो सकी , यहाँ पर सवाल शाहरुख़ की फिल्म का नहीं है यहाँ सवाल यह है की फिल्म प्रदर्शन नहीं होने के विरोध में उसने जिन सिनेमा घरो में तोड़फोड़ की वह तो मराठियों के थे तो इस मामले में कहा गया शिवसेना का मराठी प्रेम १ सवाल आम भारतीय के मन में और है की बाला साहेब ,और राज ठाकरे निरंतर प्रांतीयता और भाषावाद का जहर घोल रहे है और अशांति फैला रहे है पर सरकार इस मामले में मूक दर्शक बनी हुई है क्या इन लोगो क्र खिलाफ राजद्रोह का मुक़दमा नहीं चलाना चाहिये , भारत आज आतंकवाद से लड़ रहा है यहाँ जरूरत है एक जुटता की ना की अलगाववाद की पर शायद बाला और राज ठाकरे सिर्फ अपनी राजनितिक रोटी सेकनी है उन्हें ना देश से मतलब है ना आम आदमी से,लानत है ऐसे लोगो पर जिस थाली में खाते है उसी में छेद करते है इन्हें बीच चौराहे पर नंगा कर कोड़े लगाना चाहिये .

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