Thursday, February 25, 2010

कैसे कैसे उत्पाद

एक जगह बहुत भीड़ लगी थी

एक आदमी चिल्ला रहा था

कुछ बेचा जा रहा था

आवाज कुछ इस तरह आई

शरीर में स्फुर्ति न होने से परेशान हो भाई

थकान से टूटता है बदन

काम करने में नहीं लगता है मन

खुद से ही झुंझलाए हो

या किसी से लड़कर आए हो

तो हमारे पास है ये दवा

सभी परेशानियां कर देती है हवा

मैंने भीड़ को हटाया

सही जगह पर आया

मैंने कहा इतनी कीमती चीज

कहीं मंहगी तो नहीं है

वो बोला आपने भी ये क्या बात कही है

इतने सारे गुण सिर्फ दो रुपए में लीजिए

भाई साब दिलदार बीड़ी पीजिए

रचनाकार -

-अरुण मित्तल ‘अद्‌भुत’

Wednesday, February 24, 2010

सचिन तुझे सलाम


२४ फरवरी २०१०
यह
तारीख भारतीय क्रिकेट प्रेमी द्वारा और अंतररास्ट्रीय क्रिकेट में लंबे समय तक याद रखी जाएगी जब सचिन रमेश तेंदुलकर ने एकदिवसीय क्रिकेट मैच में धुआंधार पारी खेलते हुए सिर्फ 147 गेंदों में 25 चौकों, तीन छक्कों, 56 एक रन और 13 दो रनों की मदद से दोहरा शतक जड़ दिया ,इस अवसर पर उन्होंने कहा उन्होंने कहा,''मैं नहीं जानता कि इस उपलब्धि पर कैसे प्रतिक्रिया करूं। मैं इस दोहरे शतक को भारतीय जनता को समर्पित करता हूँ जो पिछले 20 साल से मेरे करियर के हर उतार-चढ़ावों में हमेशा मेरा साथ देते रहे हैं. मैं उनके सहयोग को कभी नहीं भुला सकता.'' इसमें कोई शक ही नहीं है कि वह क्रिकेट जगत के सबसे महानतम बल्लेबाज़ हैं. उनके रिकॉर्ड देखें. ऐसा दूसरा कौन है जिसने अंतररास्ट्रीय क्रिकेट में 93 शतक ठोंके हैं, वनडे में 17,000 और टेस्ट में 13,000 से ज़्यादा रन बनाए हैं।पिछले 20 वर्षो से कोई व्यक्ति अलग-अलग परिस्थितियों का सामना करते हुए पूरी एकाग्रता से बिना थके अपना काम करता चला रहा हो और हमेशा बेहतर ही करता हो, उसे क्या कहेंगे? उसका एक ही नाम है सचिन रमेश तेंडुलकर। बुधवार को ग्वालियर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एकदिवसीय मैच में तेंडुलकर ने जो धुंआधार पारी खेली, उसका वर्णन शब्दों के बाहर की बात है। जो काम उन्होंने बल्ले से किया, उसका सम्मान करने में कलम की ताकत आज कुछ कम लग रही है।
मास्टर ब्लास्टर ने इसके साथ ही खुलासा किया कि जब वह 175 रन के पार पहुंच गए थे तभी उन्होंने दोहरा शतक जड़ने के बारे में सोचा क्योंकि तब 42 ओवर ही हुए थे। उन्होंने कहा, 'जब मैं 175 रन के पार पहुंच गया और 42वां ओवर चल रहा था तब मुझे लगा कि मैं [दोहरे शतक] तक पहुंच सकता हूं लेकिन मैं इसी के बारे में नहीं सोच रहा था। जब मैं इसके बेहद करीब पहुंच गया तभी इस बारे में मैंने सोचना शुरू किया।' तेंदुलकर ने कहा कि वह अपनी क्रिकेट का पूरा लुत्फ उठा रहे हैं और उन्हें खुशी है कि उनकी पारी से टीम ने बड़ी जीत दर्ज की। उन्होंने कहा, 'मैं अपने खेल का पूरा लुत्फ उठा रहा हूं और मैंने टीम के लिए जो सर्वश्रेष्ठ हो वही करने का प्रयास किया है। बल्लेबाज के तौर पर मैंने कुछ गलत फैसले भी किए लेकिन मैंने हमेशा टीम की भलाई के बारे में ही सोचा।'
कहते हैं की क्रिकेट में कुछ भी नामुमकिन नहीं पर मेरे विचार से ये रिकॉर्ड टूटना लगभग नामुमकिन है

Tuesday, February 16, 2010

शिवसेना की दादागीरी


शिव सेना ने १ बार फिर साबित किया के देश से उसे कोई मतलब नहीं वह सिर्फ बाम्बे पर अपना राज चलाना चाहती है शाहरुख़ की फिल्म रिलीज ना होने देने के उसने बहुत प्रयास किये पर वह सफल नहीं हो सकी , यहाँ पर सवाल शाहरुख़ की फिल्म का नहीं है यहाँ सवाल यह है की फिल्म प्रदर्शन नहीं होने के विरोध में उसने जिन सिनेमा घरो में तोड़फोड़ की वह तो मराठियों के थे तो इस मामले में कहा गया शिवसेना का मराठी प्रेम १ सवाल आम भारतीय के मन में और है की बाला साहेब ,और राज ठाकरे निरंतर प्रांतीयता और भाषावाद का जहर घोल रहे है और अशांति फैला रहे है पर सरकार इस मामले में मूक दर्शक बनी हुई है क्या इन लोगो क्र खिलाफ राजद्रोह का मुक़दमा नहीं चलाना चाहिये , भारत आज आतंकवाद से लड़ रहा है यहाँ जरूरत है एक जुटता की ना की अलगाववाद की पर शायद बाला और राज ठाकरे सिर्फ अपनी राजनितिक रोटी सेकनी है उन्हें ना देश से मतलब है ना आम आदमी से,लानत है ऐसे लोगो पर जिस थाली में खाते है उसी में छेद करते है इन्हें बीच चौराहे पर नंगा कर कोड़े लगाना चाहिये .